चार कविताएं / श्रेया दुबे
शैली और संवेदना के धरातल पर श्रेया की कविताएं सही-सही उतरती हैं. इस बात को कहने में सफल दिख रही हैं कि इस उपभोक्तावादी युग में जीवन लगातार जटिल होते जा रहा है. मनुष्य की संवेदना पर अनवरत हमला हो रहा है. इसलिए संकट भी बहुत पेश आ रहे हैं. तभी तो उन्होंने कहा है- … Read more